Tuesday, 14 April 2020

दुर्गम पहाड़ियों, कंदराओं एवं गुफा में तपस्यारत संतों तक पहुंची राशन सामग्री

दुर्गम पहाड़ियों, कंदराओं एवं गुफा में तपस्यारत संतों तक पहुंची राशन सामग्री



जंगलों में भी कोई भूखा ना रहे, इसकी भी चिंता
चित्रकूट. कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन का असर चित्रकूट की उन दुर्गम पहाड़ियों, कंदराओं तथा गुफाओं में रहकर तप साधना में लीन रहने वाले संतों पर भी देखा जा रहा है, जो घने जंगलों में रहकर अध्यात्म की अलख जगा रहे हैं.
जंगलों में भी कोई भूखा ना रहे, इसकी चिंता करते हुए दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा पिछले कई दिनों से चित्रकूट क्षेत्र के दूरदराज जंगलों की खोह-कंदरों में अपना आश्रम बनाकर प्रभु साधना में लीन ऐसे तपस्वी साधु संतों को राशन सामग्री मुहैया कराई जा रही है, जो आम आदमी की पहुंच से काफी दूर है.
ये संत दुनिया की मोह माया से विरक्त होकर चित्रकूट की महिमा के उपासक बने हैं. इनकी तपस्या, साधना, योग और विभिन्न कठिन आध्यात्मिक प्रयासों के कारण चित्रकूट क्षेत्र ब्रह्मांडीय चेतना के लिए प्रेरणा का एक जीवंत केंद्र बना हुआ है.
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन कार्यकर्ताओं की टीम के साथ चित्रकूट के जंगलों में स्थित आश्रमों में सभी संतों को राशन सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं. प्राचीन बांके सिद्ध आश्रम में रहने वाले तपी संतों को भी राशन पहुंचाने का काम किया. यह आश्रम चित्रकूट से करीब 8 किलोमीटर दूर देवांगना हवाई अड्डा के आगे पहाड़ों के बीचों-बीच चट्टानों से बनी गुफा में है.
इसी तरह हनुमान धारा से लगभग 5 से 7 किलोमीटर पैदल रास्ता तय करके बंदरचूही के घने जंगलों में रहने वाले संतों को भी खाने-पीने की सामग्री का इंतजाम किया गया.
चित्रकूट क्षेत्र में ऐसे कई दुर्गम स्थान हैं, जहां पर संत अपना डेरा डाल कर साधना में लीन रहते हैं. वहां पर भी राशन पहुंचाने का काम जारी है. साधु-संतों के अलावा रास्ते में मिलने वाले गरीब परिवारों को भी राशन मुहैया कराया जा रहा है.
इसके अलावा कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए, राष्ट्र की खुशहाली, ऐश्वर्य, शांति व सुरक्षा के संकल्प के साथ भारत रत्न नानाजी देशमुख की आवास सियाराम कुटीर चित्रकूट में पिछले कई दिनों से चल रहे महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप का अनुष्ठान आज हवन पूजन के साथ संपन्न हुआ.

Thursday, 9 April 2020

चंद्रकांत जी के प्रथम पुण्य तिथी पर शत् शत् नमन

आतंकी हमले में घायल चंद्रकांत जी का निधन, बुधवार को होगा अंतिम संस्कार

किश्तवाड में आतंकी हमले में गंभीर रूप से घायल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जम्मू कश्मीर प्रांत के सह सेवा प्रमुख चंद्रकांत शर्मा का जम्मू अस्पताल में निधन हो गया. किश्तवाड़ जिला अस्पताल में चिकित्सा सहायक के पद पर कार्यरत चंद्रकांत शर्मा पर मंगलवार को अस्पताल परिसर में ही आतंकियों ने हमला कर दिया था. जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें जम्मू लाया गया था. उऩकी पार्थिव देह को जम्मू से किश्तवाड़ ले जाया जा रहा है, जहां बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा.
चन्द्रकांत जी बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. जिला, विभाग कार्यवाह सहित विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए वर्तमान में प्रांत सह सेवा प्रमुख थे. उन्होंने संघ का प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण पूरा किया था. उनका परिवार प्रारंभ से ही धार्मिक गतिविधियों व समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय था. उनके परिवार में पत्नी व दो बेटे हैं, बड़ा बेटा दसवीं तथा छोटा बेटा सातवीं कक्षा में पढ़ता है.
चंद्रकांत जी ने आतंकवाद के दौर में भी वहां के स्थानीय समाज का मनोबल बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया. उन्होंने हिन्दुओं को संगठित करने का काम, बड़ी तन्मयता से किया. सेना के सहयोग के लिए दिन रात तत्पर रहते थे. जिस कारण आतंकियों के निशाने पर थे, इसके चलते उन्हें सुरक्षा भी प्रदान की गई थी.
वे युवाओं के प्रेरणास्रोत थे, लेकिन अपने लिए कठोर थे. पद, प्रतिष्ठा से अलिप्त रहते हुए भी वंचितों, शोषितों, असहायों के लिए वे निरंतर कार्य करते रहे. उन्होंने समाज को साथ लेकर किश्तवाड़ में मंदिर का निर्माण करवाया था और हर साल बैसाखी पर मेले का आयोजन करते थे. उनका अधिकांश समय संघ व समाज के कार्यों में ही लगता था. वे आतंकवाद के समय हिन्दू रक्षा समिति में भी सक्रिय रहे. डोडा विभाग में निरंतर प्रवास होता था तथा क्षेत्र में धार्मिक, सामाजिक संगठनों से अच्छा संपर्क-संबंध था.
हिन्दू समाज के मनोबल को कम करने के आतंकवादियों के मन्सूबे कभी पूरे नहीं होंगे. संघ ने एक निर्भीक, जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ स्वयंसेवक खो दिया है. उनके जाने से क्षेत्र व समाज को अपूरणीय क्षति हुई है.

Wednesday, 8 April 2020

विद्या भारती के विद्यालयों ने दिया राहत कोष में आर्थिक योगदान

 कोष में 1.5 लाख दिए

पूर्वोत्तर – असम की शिशु शिक्षा समिति ने राहत कोष में 1.5 लाख दिए


विद्या भारती के विद्यालयों ने दिया राहत कोष में आर्थिक योगदान
असम. देश एकजुटता के साथ कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है. इस जंग में समाज का प्रत्येक वर्ग अपनी तरह से योगदान दे रहा है. हालांकि कुछ लोगों की लापरवाही व गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है.
विकट घड़ी में जरूरतमंदों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने राहत कोष में योगदान का आह्वान किया है. जिसके पश्चात सरकारी, गैर सरकारी, सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं योगदान दे रहे ही  हैं, व जरूरतमंदों की सहायता कर रही हैं.
इसी कड़ी में विद्या भारती ने पहले विद्यालय भवनों को सरकार को देने की घोषणा की थी. आर्थिक योगदान की ओर भी कदम बढ़ा दिया है. वर्ष 1979 से असम के दूर दराज के क्षेत्रों में शिशु शिक्षा समिति असम (विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से संबद्ध) मातृभाषा में शिक्षा का अलख जगा रही है. समिति ने असम सरकार की आरोग्य निधि में एक लाख एक रुपये की राशि, तथा प्रधानमंत्री केयर्स फंड में पचास हजार एक रुपये की राशि प्रदान की है.
इसके अलावा शिशु शिक्षा समिति असम की उप समिति परीक्षा परिषद की अध्यक्षा एवं असम माध्यमिक शिक्षा परिषद की पूर्व शैक्षिक अधिकारी डॉ. आरती भट्टाचार्य ने व्यक्तिगत तौर पर असम आरोग्य निधि के लिए दो लाख रुपये की राशि दी है. शिशु शिक्षा समिति असम के महामंत्री कुलेन्द्र कुमार भगवती ने इसकी जानतकारी दी.
असम के करीमगंज में समिति द्वारा संचालित सरस्वती विद्या निकेतन द्वारा विज्ञान प्रयोगशाला में 3000 बोतल सेनेटाईजर निर्माण किया गया है. सरस्वती विद्या निकेतन करीमगंज द्वारा 4 गांवों को भी सेनेटाईज किया गया. विद्यालय के आचार्यों (शिक्षकों) ने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान करने का निर्णय लिया है. विद्यालय ने आपदा राहत दल का गठन किया है जो जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहा है.
विद्या भारती शिक्षा समिति त्रिपुरा से संबद्ध अगरतला के त्रिपुरेश्वरी विद्या मंदिर गांधीग्राम ने मुख्यमंत्री राहत कोष में राशि दी है. विद्या भारती शिक्षा समिति त्रिपुरा के अध्यक्ष व विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव डॉ. शंकर रॉय ने 50,000 रुपये की राशि दी है।

उत्तराखंड की 60 वर्षीय महिला ने दान की उम्रभर की जमा पूँजी, PM-CARES फंड में दिए ₹10 लाख

उत्तराखंड की 60 वर्षीय महिला ने दान की उम्रभर की जमा पूँजी, PM-CARES फंड में दिए ₹10 लाख

कोरोना वायरस के कारण पैदा आपदा से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से PM-CARES में योगदान की अपील की थी। देश का लगभग हर वर्ग अपनी क्षमता के अनुसार इसमें योगदान दे रहा है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस दौरान एक उदाहरण बनकर सामने आए हैं। ऐसा ही एक नाम उत्तराखंड की देवकी भंडारी का है।

60 साल की देवकी भंडारी ने अपने जीवनभर की कमाई को PM-CARES फंड में दे दी है। देवकी बताती हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के प्रति सेवाभाव से प्रभावित होकर उन्होंने यह निर्णय लि



या है।

उत्तराखंड के चमोली जिले के गौचर की निवासी देवकी भंडारी ने 10 लाख रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाकर समाज के सामने कोरोना वायरस की माहमारी के बीच एक बड़ी मिसाल पेश की है।

उन्होंने बताया कि उनके बैंक में एफडी और पेंशन की रकम से कुल 10 लाख रुपए जमा हुए थे। कोरोना संकट को देखते हुए उन्होंने जीवन भर की कमाई इस महामारी से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री केयर फंड में दान दे दी है।

देवकी भंडारी के पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। यह पहला अवसर नहीं है जब साठ वर्षीय देवकी भंडारी ने समाज सेवा में हिस्सा लिया हो। उल्लेखनीय है कि देवकी भंडारी की अपनी कोई संतान नहीं है लेकिन उन्होंने एक गरीब मेधावी छात्र को पढ़ाने में भी मदद की। इस बच्चे का खर्च देवकी देवी खुद वहन करती हैं।

केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने ट्विटर एकाउंट से यह जानकारी साझा करते हुए लिखा है, “उत्तराखंड केचमोली जिले में स्थित गौचर से हमारी मातृ शक्ति आदरणीया देवकी भंडारी जी ने PM नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर अपने जीवन की सम्पूर्ण संचित जमा पूँजी- 10 लाख रुपए की धन राशि #PMCaresFunds में #coronavirus से लड़ने के लिए देश सेवा में समर्पित की है।”

जिनके नहीं कोई साथ, वहां पहुंचे सेवा भारती के हाथ..

जिनके नहीं कोई साथ, वहां पहुंचे सेवा भारती के हाथ…..


स्वयंसेवकों ने यमुना खादर में 60 परिवारों को पहुंचाया भोजन
नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडॉउन का असर देखा जा रहा है. इस लॉकडॉउन की वजह से गरीब तबके के उन लोगों की जिंदगी थम गई है जो रोज कमाते और खाते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन सेवा भारती ने इन लोगों के लिए भोजन से लेकर राशन और कपड़ों से लेकर घर की जरूरतों की चीजें पहुंचाने का काम किया. दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लाखों दहाड़ी मजदूरों, झुग्गियों में रहने वाले रहेड़ी-ठेला वालों और बाजारों में रिक्शा चला कर जीवन बसर करने वालों के परिवार के बीच जब सेवाभारती के लोग राशन लेकर पहुंचे तो उनकी आंखे भर आई. लॉकडॉउन की अवधि के दौरान सेवा भारती के स्वयंसेवकों ने कोरोना संक्रमण के पूरे प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने सेवा कार्यों को निर्बाध गति से जारी रखा. पुलिस और मीडिया के साथियों के जरिए सेवा भारती के लोगों को जहां से भी मदद पहुंचाने का संदेश मिला, वहां जाकर उन्होंने लोगों की सेवा का काम किया. इसी बीच सेवा भारती के स्वयंसेवकों को पता चला कि यमुना के खादर में रहने वाले बहुत से खेतीहर परिवारों के समक्ष इन दिनों खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडॉउन के चलते वह लोग खादर से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे परिवारों की खबर न तो मीडिया को लगी और न ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के पास उनका संदेश पहुंचा. ऐसे में सेवा भारती ने राशन, पानी, भोजन, कपड़े, गैस और दूसरी जरूरत की चीजों को उनके बीच पहुंचाने का बीड़ा उठाया.
यमुना के चिल्ला खादर में रहने वाले 60 परिवारों के पास एक सप्ताह से खाने के लिए कुछ भी नहीं था. लॉकडॉउन के बाद उनका वहां से निकलना मुश्किल हो गया था. ऐसे में सेवा भारती के स्वंयसेवक नाव पर सवार हो चिल्ला खादर पहुंचे. परिवारों ने जब राशन के पैकेज और भोजन सामग्री देखी तो उनकी आंखें भर आईं. लोगों ने बताया कि उनके बच्चों ने दो दिन से कुछ भी नहीं खाया, आज आप लोगों के राशन से हमारे घर में चूल्हा जल पाएगा. परिवार की महिलाओं ने बताया कि उनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा. हमारे बच्चे पानी और खाने के लिए तरस गए. घर में जो राशन था, वह एक दो दिन में खत्म हो गया. चिल्ला खादर में रहने वाले परिवारों ने बताया कि वह लोग यमुना खादर में खेती करते है और आसपास के इलाके में मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते है. मगर लॉकडाउन के बाद उनका बाहर निकलना कठिन हो गया था. इस कारण उनका खाना पानी बंद हो गया था, बच्चे भूख से बेहाल हो चले थे. कार्यकर्ताओं ने चिल्ला के परिवारों को आश्वासन दिया कि भविष्य में भी उन्हें अगर किसी भी तरह की मदद की जरूरत होगी तो स्वयंसेवक उनके बीच खड़े नजर आएंगे

Monday, 6 April 2020

संघ ने जून तक होने वाले सभी प्रशिक्षण वर्ग, सामूहिक कार्यक्रम निरस्त किए

संघ ने जून तक होने वाले सभी प्रशिक्षण वर्ग, सामूहिक कार्यक्रम निरस्त किए

देशभर में 26 हजार स्थानों पर 2 लाख स्वयंसेवक जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे राहत
भारतीय समाज के ताने-बाने में ही निहित हैं सेवा- सहयोग के मूल्य – डॉ. मनमोहन वैद्य
अपने ही समाज में एक्सपोज हो रहे तबलीगी
स्वयंसेवक विभिन्न स्थानोंपर लगा रहे ई शाखाएं, परिवार शाखा का प्रयोग भी चल रहा
File Photo
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि कोरोना का संकट एक अभूतपूर्व संकट है और भारत अच्छे से इसका सामना कर रहा है. उन्होंने 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में निर्णयों को लागू कराने में सरकार के कदमों की सराहना की. उन्होंने कहा कि जिस तरह से चरणबद्ध ढंग से, जैसे पहले 1 दिन के कर्फ्यू और फिर 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन का फैसला लिया गया, इससे समाज का मन बना और समाज का सहकार्य भी मिला है. उन्होंने भारतीय समाज के सहयोगी स्वभाव की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि हमारे समाज का तानाबाना कुछ ऐसा है कि संकट के मौके पर लोग एक दूसरे की सहायता को आगे आ जाते हैं. दूसरे देशों में सरकार पर निर्भरता अधिक है.
उन्होंने देश में कोरोना वायरस के संकट व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा कार्यों को लेकर वीडियो ऐप के माध्यम से प्रेस वार्ता में जानकारी प्रदान की.
उन्होंने कहा कि संकट के दौरान संघ के स्वयंसेवक समाज के सहायतार्थ कार्य शुरू करते हैं और स्वयंसेवकों ने उत्तर पूर्वी राज्यों अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा से लेकर देश के प्रत्येक राज्य में सेवा कार्य शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि इस समय देश भर में 26 हजार स्थानों पर 2 लाख स्वयंसेवक सेवा कार्यों में लगे हैं. इन सेवा कार्यों से 25.5 लाख परिवारों, व्यक्तियों को इसका लाभ मिला है.
समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वयंसेवकों ने 25 प्रकार के सेवा कार्य आरंभ किए हैं. अनेक प्रांतों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए है, जिनके माध्यम से लोगों की आवश्यकता अनुसार सहायता की जा रही है. भोजन, चिकित्सा, अन्य प्रांतों से आए परिवारों की व्यवस्था करने का कार्य स्वयंसेवकों ने किया.
तमिलनाडु के तिरुपुर में स्वयंसेवकों ने स्वास्थ्य विभाग के लिए सेफ्टी ड्रेस बनाकर वितरण किया है. सेनेटाइज़र, मास्क का वितरण कर रहे हैं. आयुर्वेदिक काढ़ा और होम्योपैथिक दवाइयां भी लाखों लोगों को वितरित किया है. धार्मिक स्थानों पर आश्रित रहने वाले भिक्षुकों के लिए भी भोजन की व्यवस्था हो रही है. चित्रकूट और हम्पी में बंदरों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जा रही है. देश में कई स्थानों सोलापुर, यवतमाल, कोल्हापुर, उत्तर प्रदेश में घुमंतू जनजातियों और कई प्रदेशों में जनजातीय इलाकों में लोगों की सहायता के लिए स्वयंसेवक सतत लगे हैं. रक्तदान की व्यवस्था भी स्वयंसेवकों ने की है.
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में विद्या भारती ने 16 जिलों में अपने 115 भवन प्रशासन को उपयोग के लिए दिए हैं. दैनिक मजदूरी करने वालों की भी चिंता कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिव्यांगों के बीच काम करने वाले सक्षम नाम के संगठन ने इस संकट के दौरान मनोचिकित्सकों की सेवाएं भी उपलब्ध करवाई हैं. दिल्ली से काफी संख्या में मजदूर बाहर जा रहे थे, तो ऐसे 8 लाख लोगों के आवास व भोजन की व्यवस्था स्वयंसेवकों ने की, तथा उत्तर प्रदेश सरकार के सहोयग व योजना से पांच हजार बसों के माध्यम से अपने-अपने स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था की है. सेवा के इस विशाल कार्य में समाज के सहयोग से सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, विद्या भारती, आरोग्य भारती, भारतीय मजदूर संघ, वनवासी कल्याण आश्रम, सक्षम, नेशनल मेडिकॉज़ आर्गनाइजेशन, भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, आरोग्य भारती, सीमा जन कल्याण समिति, सभी संगठों के कार्यकर्ता लगे हैं.
सह सरकार्यवाह ने बताया कि साथ मिलकर सांघिकता का भाव बनाए रखने के लिए व टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए ई शाखाएं चला रहे हैं, अनेक स्थानों पर परिवार साथ आ रहे हैं, परिवार शाखाओं का भी प्रयोग हो रहा है.
उन्होंने बताया कि संघ के लिए यह समय शिक्षा वर्ग का समय होता है. अप्रैल के मध्य से जून अंत तक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने के लिए गर्मियों की छुट्टियों का लाभ लेकर 90 से अधिक संघ शिक्षा वर्गों का आयोजन होता है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए संघ के नेतृत्व ने निर्णय किया है कि जून अंत तक होने वाले सभी वर्गों, एकत्रीकरण के कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया है. संघ पर जब प्रतिबंध लगा था, तभी केवल शिक्षा वर्ग नहीं हुए थे. संघ के इतिहास में 1929 से लेकर अभी तक ऐसा पहली बार हुआ है कि पूर्ण योजना बनने के पश्चात भी देश में सभी वर्गों को निरस्त कर दिया गया है.
एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रोज कमाने वाल लोगों पर संकट आया है, ऐसा नही है, सभी पर आया है. हमारे एक मित्र के पास 125 लोग काम करते हैं, वो मुझे कह रहे थे उन्होंने बिना कमाई के एक माह का वेतन सभी को दिया है. संकट सभी  पर है, सभी एक साथ मिलकर बाहर निकलेंगे. पहले महामारी के संकट से बाहर आना चाहिए, और बाद में समाज व सरकार मिलकर विचार करके बाहर आएंगे. आने वाले कुछ महीनों में हम फिर से अच्छी स्थिति में आएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है.
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि सभी जगह निर्देशों का पालन हो रहा है, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने, सेनेटाइजंग करना, व अन्य सावधानियों को ध्यान में रखते हुए स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं. लेकिन जहां सेवा पहुंचानी है, वह भी आवश्यक है. सभी नियमों का पालन करते हुए स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं.
तबलीगी जमात से जुड़े प्रश्न के उत्तर में कहा कि इसके कारण से संख्या अचानक बढ़ रही है, यह बात सभी लोग मान रहे हैं. समाचार पत्रों में रिपोर्ट आ रही हैं, The Figures Tell the Truth, यह बात तो सही है. अगर उनका नेतृत्व समय पर इसको कैंसल करता तो अच्छा होता. मैं इसके समान एक उदाहरण बताउंगा, – 15, 16, 17 मार्च को संघ की भी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बेंगलुरु में तय थी, करीब 1500-1600 कार्यकर्ता देशभर से आने वाले थे, 300 स्थानीय कार्यकर्ता उनकी व्यवस्था में थे. लेकिन संघ के नेतृत्व ने (लॉकडाउन की घोषणा से पहले) सारी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए समय पर निर्ण लेकर बैठक निरस्त की. कुछ लोग फ्लाइट से आने वाले थे, उनको फ्लाइट में न बैठने के लिए कहा गया. ट्रेन से आने वाले कुछ लोग बीच में उतर गए, जो बेंगलुरु पहुंचे उन्हें भी एक स्थान पर न रखते हुए अलग-अलग स्थानों पर व्यवस्था की, उनको वापसी गाड़ी से भेजने की व्यवस्था की. यह जो नेतृत्व की सेंसिबल रिस्पॉंसिबिलिटी होती है, जो संघ के नेतृत्व ने दिखाई. वो यदि इनके लोग दिखाते तो ऐसा नहीं होता.
दूसरी बात है, मानो यह जानकारी के समय निर्णय नहीं कर सके, बाद में छिपे रहना, छिपाना, जो उनकी सेवा के लिए, जांच के लिए आ रहे हैं, उनके साथ बेहुदा व्यवहार करना, यह तो कुछ विकृति का ही दर्शन है. कहीं थूकना, उपचार कर रही नर्सों के साथ दुर्व्यवहार करना.
उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि मुस्लिम समुदाय के बड़े वर्ग ने सरकार के निर्देशों का समर्थन किया है, वो सहयोग भी कर रहे हैं, लेकिन एक तबका है जो समझ नहीं रहा है. यह एक साजिश है या नहीं यह उन्हें नहीं पता, लेकिन उनके समाज में ये लोग खुद एक्सपोज़ हो रहे हैं. उनके ही समाज के लोग प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं, उनके मस्जिद में छिपे होने की जानकारी दे रहे हैं.

Wednesday, 18 March 2020

अब बुलेटप्रूफ मंदिर में विराजेंगे रामलला, नवरात्र से पहले होगी स्थापना


अयोध्या में रामलला अब टेंट के स्थान पर बुलेटप्रूफ मंदिर में विराजमान होंगे। नवरात्र से पहले अस्थायी मंदिर में स्थापना होगी। इससे पूर्व 20 मार्च से अयोध्या और काशी के विद्वान अस्थायी मंदिर के शुद्धिकरण का कार्य शुरू कर देंगे। यह प्रक्रिया 24 मार्च तक पूरी होगी। रामनवमी मेले के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में जुटने वाले हैं, इसे लेकर प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है।
25 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र के पहले दिन रामलला गर्भगृह से निकल कर अस्थायी फाइबर के बुलेटप्रूफ मंदिर में विराजेंगे। जहां रामभक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे। गर्भगृह के दक्षिण की तरफ रामलला के लिए अस्थाई मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि रामलला को शिफ्ट करने का काम चल रहा है जो 24 मार्च तक पूर्ण हो जाएगा। 25 मार्च को अस्थायी मंदिर में रामलला विराजेंगे और 25 मार्च चैत्र नवरात्र के पहले दिन रामलला की अस्थायी मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो जाएगी। अभी वर्तमान में बहुत कुछ काम हो गया है और कुछ काम बाकी है।
रामलला को जब अस्थायी विराजमान किया जाएगा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं रामलला के साथ उपस्थित रहेंगे।
जिस चबूतरे पर (रविवार से) फाइबर मंदिर की फिटिंग का काम शुरू हुआ है। वह 24 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा है.।जमीन से इसकी उंचाई साढ़े तीन फीट है। चबूतरे के चारों तरफ मजबूत एंगल का जालीदार सुरक्षा कवच भी तैयार हो रहा है।
अभी तक रामलला के दर्शन 52 फीट की दूरी से होते थे। लेकिन अब दूरी घटाई गई है। श्रद्धालु 20 फीट से दर्शन कर सकेंगे। साथ ही तीन तरफ से गुजरकर परिक्रमा भी कर सकेंगे। चबूतरे के किनारे 15 मीटर चौड़ा व 17 मीटर लंबा मार्ग दर्शन के लिए रखा गया है। 17 मीटर लंबी गैलरी में पूरब दिशा में रामलला का मुख रहेगा। वहीं से दर्शन व आरती की व्यवस्था रहेगी।